उसी के आईने में देखकर आईं हूं ढलते शाम में, यादों की रोशनी में चमक उठता है चेहरा उसका मेरी उन बातों को याद करके खिल उठता है चेहरा उसका हर रोज ख़ुद से कहा मूझसे ही मिलने आता है नई लहरों में वहीं पुरानी लहर ढुंढना लगता हैं