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बयाबान था दिल का बगीचा, तेरे प्यार से बहार ओ लबरेज

बयाबान था दिल का बगीचा,
तेरे प्यार से बहार ओ लबरेज हुआ था,

जली अहसासों की आतिशबाजी,
मधुर स्मृतियों का दीपोत्सव हुआ था,

भीतर से सिफ़र था मैं ,
तेरे शामिल से कामिल हुआ था,

तेरे आगमन से मेरी जिंदगी में‌ मानो,
खियाबाँ में खुशियों का आग़ाज़ हुआ था।

ख्वाब‌ ओ ख्यालों में सांझ ‌थी हमारी,
खुल्द - ज़ार घर फिर क्यों वीरान हुआ था।

जब खुदा ने मुंतखब किया रिश्ता हमारा,
तो फिर क्यों रिश्तों का बंटवारा हुआ था।— % & ♥️ Challenge-831 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
बयाबान था दिल का बगीचा,
तेरे प्यार से बहार ओ लबरेज हुआ था,

जली अहसासों की आतिशबाजी,
मधुर स्मृतियों का दीपोत्सव हुआ था,

भीतर से सिफ़र था मैं ,
तेरे शामिल से कामिल हुआ था,

तेरे आगमन से मेरी जिंदगी में‌ मानो,
खियाबाँ में खुशियों का आग़ाज़ हुआ था।

ख्वाब‌ ओ ख्यालों में सांझ ‌थी हमारी,
खुल्द - ज़ार घर फिर क्यों वीरान हुआ था।

जब खुदा ने मुंतखब किया रिश्ता हमारा,
तो फिर क्यों रिश्तों का बंटवारा हुआ था।— % & ♥️ Challenge-831 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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mrsrosysumbriade8729

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