कैसे कहें हम तुमसे,दिल पे क्या गुज़र रही है आईने के सामने जब,वो हंसते हुए संवर रही है बादलों के जैसी है वो,ठहरती कहीं नहीं है उस ज़मीन सा हूँ मैं,जो बारिश के लिए तरस रही है मीठा सा है ये स़फर भी,मोहब्बत का तुम देखो कड़वाहट बस वहीं हैं,जहाँ उम्मीदें बेशुमार पल रही हैं तेरी ख़मोशी पर तो हम फ़िदा हैं,कुछ कह दो तो फ़ना हो जाएं बन जाओ जीने की वजह तुम और हम बेवजह हो जाएं... Challenge-126 #collabwithकोराकाग़ज़ 8 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए :) #वजहबेवजहसी #कोराकाग़ज़ #yqdidi #yqbaba YourQuote Didi YourQuote Baba Aरिफ़ Aल्व़ी #YourQuoteAndMine Collaborating with कोरा काग़ज़ ™️