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ईश्वर ने जिस मकसद के लिये हमे अंकुरित किया उन वजहो

ईश्वर ने जिस मकसद के लिये हमे अंकुरित किया उन वजहो को ढुँढ कर ,,,,,,अपने कर्तव्यो को पुरा करना,,,,क्योकि ईश्वर भी हमसे कोई उम्मीद करके ही कुदरत मे भेजता है,,, वैसे हर व्यक्ति को चाह पैसो की होती है
लेकिन """हमे उन वजहो को ढुँढना चाहिये जिसके लिये कुदरत हमसे अपेक्षा या उम्मीदे लगाये बैठी है

हम केवल अपनी उम्मीदो पर या अपनो की उम्मीदो पर खरा उतरने की कोशिश करते है लेकिन कुदरत की उम्मीदो पर नही 
लेकिन """हमे एक बार इसपर भी विचार करना चाहिये कि-----ईश्वर ने जब हमे इस दुनियाँ मे भेजा होगा तो इस का क्या कारण रहा होगा,,,

पेट सबके होता है यह तो कम्पलसरी है,,,,पेट के लिये सब करते है
लेकिन कुदरत हजारो वर्षो से चल रही है वह कभी ऐसे मानव मसीहा तैयार करती है जो कुछ वक्त उस की जिम्मेदारियाँ निभा सके ताकी ईश्वर ""आगे की कोई नयी योजना बना ये
ईश्वर ने जिस मकसद के लिये हमे अंकुरित किया उन वजहो को ढुँढ कर ,,,,,,अपने कर्तव्यो को पुरा करना,,,,क्योकि ईश्वर भी हमसे कोई उम्मीद करके ही कुदरत मे भेजता है,,, वैसे हर व्यक्ति को चाह पैसो की होती है
लेकिन """हमे उन वजहो को ढुँढना चाहिये जिसके लिये कुदरत हमसे अपेक्षा या उम्मीदे लगाये बैठी है

हम केवल अपनी उम्मीदो पर या अपनो की उम्मीदो पर खरा उतरने की कोशिश करते है लेकिन कुदरत की उम्मीदो पर नही 
लेकिन """हमे एक बार इसपर भी विचार करना चाहिये कि-----ईश्वर ने जब हमे इस दुनियाँ मे भेजा होगा तो इस का क्या कारण रहा होगा,,,

पेट सबके होता है यह तो कम्पलसरी है,,,,पेट के लिये सब करते है
लेकिन कुदरत हजारो वर्षो से चल रही है वह कभी ऐसे मानव मसीहा तैयार करती है जो कुछ वक्त उस की जिम्मेदारियाँ निभा सके ताकी ईश्वर ""आगे की कोई नयी योजना बना ये

वैसे हर व्यक्ति को चाह पैसो की होती है लेकिन """हमे उन वजहो को ढुँढना चाहिये जिसके लिये कुदरत हमसे अपेक्षा या उम्मीदे लगाये बैठी है हम केवल अपनी उम्मीदो पर या अपनो की उम्मीदो पर खरा उतरने की कोशिश करते है लेकिन कुदरत की उम्मीदो पर नही लेकिन """हमे एक बार इसपर भी विचार करना चाहिये कि-----ईश्वर ने जब हमे इस दुनियाँ मे भेजा होगा तो इस का क्या कारण रहा होगा,,, पेट सबके होता है यह तो कम्पलसरी है,,,,पेट के लिये सब करते है लेकिन कुदरत हजारो वर्षो से चल रही है वह कभी ऐसे मानव मसीहा तैयार करती है जो कुछ वक्त उस की जिम्मेदारियाँ निभा सके ताकी ईश्वर ""आगे की कोई नयी योजना बना ये