भीगते हम और तुम आंसू के बारिश में दूरी बहुत बढ़ चुकी हम दोनों में शहर की दूरियां ख़तम नहीं होती और अब तेरे दिल के मन भीग रहा है मेरा इन बारिशों में आजाओ संग मेरे तुम भी भीगने तनहाई को कम कर जाएगी ये बरसात जब खोलेंगे हम तुम अपने यादों के छाते बचपन में जुकाम का डर होता था अब डर अश्रु में डूब जाने के अाजाओ तुम मेरे बाहों में और भीगते है सावन की बरसात में।। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को प्रतियोगिता:-50 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 6-8 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।