रिम-झिम बरसात में सजाए थे कुछ ख्वाब तुम्हारी चाहतों की सांसे टूट गयी आया जभी उनका जवाब, गम को बह जाने दो इसी बरसात में कहीं राह देखते न रह जाओ तुम तुम आओंगे अभी-अभी, अभी इसी इंतज़ार में... ©payal kuwar # अरमानों की बहती नदियां