कैसे करू बया कि आज मै क्या चाहती हू कड़ी धूप मिले, पर थोड़ी सी छाव भी चाहती हू.... शहर का शोर भी मिले, पर गाँव का आराम भी चाहती हू.... भीड़ मे टकराने का सिलसिला हो, पर अकेली एक शाम भी चाहती हू... मिले हर किसी का प्यार, एहसास दिलाए प्यार की, वो डांट भी चाहती हू... सिलसिला मिलन का हो, पर तन्हाई का एहसास भी चाहती हू... हो पैर जम़ीन पर, साथ ही आसमान की उड़ान भी चाहती हू... कैसे करू बया कि आज मै क्या चाहती हू..... #chahtein