तेरी पाज़ेब(ग़ज़ल) मेरी परछाई में तेरा तस्व्वुर साथ आता है, अंधेरे रास्तों को रौशन करने चाँद आता है। तेरी तस्वीर से अब तिश्नगी मिटती नही मेरी, लेकिन महफ़िल छोड़ कौन सहरा में आता है। हर क़दम पर हुस्न के ऐसे फ़रेब फ़ैले हुए है, सफ़र शुरू करते ही ख़तरे में 'ईमान' आता है। उठती नज़रों के साथ पाज़ेब की खनक तेरी, फ़िर क्यों छेड़खानी का इल्ज़ाम हमपे आता है। #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #kkजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #kkतेरीपाजेब #yqdidi #yqbaba #आशुतोष_अंजान