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#स्त्री_की_ओर_झुकाव दो तरह से हो सकता है, एक #वास

#स्त्री_की_ओर_झुकाव दो तरह से हो सकता है,

एक #वासना के कारण
और दूसरा #प्रेम के कारण ।

वासना लालची चित्त की अवस्था है
और प्रेम निस्वार्थ भाव दशा है ।

वासना संसार है
और प्रेम आध्यात्म है ।

जो समय के साथ बढता जाये वो प्रेम है
और जो समय के साथ घटता जाये वो वासना है।

वासनाग्रस्त चित्त सदैव अशांत रहता है
और प्रेमपूर्ण चित्त सदैव शांत रहता है, आनन्दित रहता है ।

जिसने स्त्री में वासना देखी, उसे स्त्री का प्रेम कभी उपलब्ध नहीं हो सकता है ,
और जिसने स्त्री को प्रेम किया, उसे स्त्री में परमात्मा दिखाई पडने लगता है,
प्रेम में इतनी शक्ति है कि स्त्री #परमात्मा ही हो जायेगी ।

©परिंदा #BhaagChalo 
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