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ज़िंदगी दिसंबर सी सोचता हूँ कि ज़िंदगी दिसंबर सी ह

ज़िंदगी दिसंबर सी सोचता हूँ कि 
ज़िंदगी दिसंबर सी हो चली है
बची खुची रही सही
न कोई उमंग, न कोई तरंग
जाने कब ज़िंदगी का 31 आ जाये 
रात के 12 बजें
और साँसें खत्म हो जायें
शून्य में मिल जायें
मैं और मेरा "मैं"
पर तभी अचानक से
होती है कोई हलचल 
और जाती हुई साँसें
पलट रही होती हैं 
वापिस आने को
दिसंबर सी ज़िंदगी 
हो जाती है जनवरी सी
खुशनुमा खुशमिजाज़
अलहदा सबसे ख़ास 
-स्वरचित
अजय नेमा #december #day06#contest#nojoto#nojotoapp#nojotofamily#nojotonews#poetry#nojotohindi
ज़िंदगी दिसंबर सी सोचता हूँ कि 
ज़िंदगी दिसंबर सी हो चली है
बची खुची रही सही
न कोई उमंग, न कोई तरंग
जाने कब ज़िंदगी का 31 आ जाये 
रात के 12 बजें
और साँसें खत्म हो जायें
शून्य में मिल जायें
मैं और मेरा "मैं"
पर तभी अचानक से
होती है कोई हलचल 
और जाती हुई साँसें
पलट रही होती हैं 
वापिस आने को
दिसंबर सी ज़िंदगी 
हो जाती है जनवरी सी
खुशनुमा खुशमिजाज़
अलहदा सबसे ख़ास 
-स्वरचित
अजय नेमा #december #day06#contest#nojoto#nojotoapp#nojotofamily#nojotonews#poetry#nojotohindi
ajaynema5015

Ajay Nema

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