आंखों में काजल का नूर देखता हूं। चेहरे में चांद सा लिपटा हुजूर देखता हूं। लवों पर लाली देख दिल को मचलता देखता हूं। काले केसों में बहके हवाओं को उलझता देखता हूं । माथे की बिंदी पर श्रंगार को अलंकृत देखता हूं। तन पर लिपटे लिबासों मे हुस्न का पर्दा देखता हूं। ~~शिवानन्द #cinemagraph आंखों में #काजल का नूर देखता हूं। चेहरे में चांद सा लिपटा हुजूर देखता हूं। लवों पर लाली देख #दिल को मचलता देखता हूं। काले केसों में बहके हवाओं को उलझता देखता हूं । माथे की बिंदी पर #श्रंगार को अलंकृत देखता हूं।