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भीतर ही भीतर सबके मन में सुकूँ था,मेरी लाश देखकर।

भीतर ही भीतर सबके मन में सुकूँ था,मेरी लाश देखकर।
कमबख्त इक बार दिल क्या धड़क गया,चेहरों के रंग फीके पड़ गए लोगों के।।

©Avi Tripathi
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