चलना, गिरना , संभलना तो लगा रहेगा, सुन ए मुसाफ़िर क्या कहते हैं ख़्याल ए गरिमा मंज़िल की तलाश में रास्तों पर चल रहा है धूप छांव तो मिलती रहेगी, जिंदगी तो बस यूं ही चलती रहेगी। चलना, गिरना , संभलना तो लगा रहेगा, सुन ए मुसाफ़िर क्या कहते हैं ख़्याल ए गरिमा मंज़िल की तलाश में रास्तों पर चल रहा है धूप छांव तो मिलती रहेगी, जिंदगी तो बस यूं ही चलती रहेगी। . .