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कभी खुद को ना समझना कम देवी हो तुम अप्सरा से ज़्या

कभी खुद को ना समझना कम
देवी हो तुम
अप्सरा से ज़्यादा हो सुंदर 
सुर की देवी और सरस्वती का हो संगम  
प्यार से भरी हो मीठा और मधुरता का मेल हो तुम
पाकीज़गी दिल में सादगी से भरी हो तुम
गुणों की प्रतिमा हो सर्वगुण सम्पन्न हो तुम
इस धरती पर एक बेशकीमती नगीना हो तुम

©Dr  Supreet Singh #सर्वगुणसम्पन्न
कभी खुद को ना समझना कम
देवी हो तुम
अप्सरा से ज़्यादा हो सुंदर 
सुर की देवी और सरस्वती का हो संगम  
प्यार से भरी हो मीठा और मधुरता का मेल हो तुम
पाकीज़गी दिल में सादगी से भरी हो तुम
गुणों की प्रतिमा हो सर्वगुण सम्पन्न हो तुम
इस धरती पर एक बेशकीमती नगीना हो तुम

©Dr  Supreet Singh #सर्वगुणसम्पन्न