कराह रही थी रूह मदद के वास्ते, और हम चाह के भी... कुछ न कर सके खुद के वास्ते, बेबसी लाचारी साफ... झलक रही थी चेहरे पे, लूट चुकी थी दुनिया हमारी... बंधे हुए थे कदम,चुप थी जुबान, बस एक इज्जत के वास्ते... आईना साफ साफ दिखा रहा था, ख्वाब में हशर हमारा... और हम हाथ बांधे खड़े थे, के कोई बख्श दे खुदा के वास्ते। #रूह #खुदा #दुनिया