मेरी उम्मीदों का क़िस्सा घर की दीवारों तक ही सीमित है मन में बसते कुछ ख़्वाब मेरे जो मुझमें अब भी जीवित हैं मुझको भी उड़ना आसमान में ख़्वाबों के पंख लगाए मैं भी तो इक इंसा हूं है मुझको सब क्यों भरमाए #दिल_की_बात #जिंदगी_का_सफ़र #हिंदी_कविता #yqlove #आसमान_की_उड़ान #ख्वाब