मैं रोज ख्वाहिशों के दरिया बहाया करता हूं आंखों को आंसुओं के बेहिसाब जाम पिलाया करता हूं नींद आ जाए तो बस उसे याद कर लिया करता हूं नींद के जुगनू उड़ा तारों से बातें बेहिसाब किया करता हूं वह याद करे या ना करे मुझे ये उसकी मर्ज़ी है मेरी चलती है जहां मैं आवाज़ें उसे बेशुमार लगाया करता हूं मेरी आंखे भी अब मुझसे खफा सा रहा करता है इक तस्वीर लिए कितने रातें उसे जगाया करता हूं झुक जाऊं गिर जाऊं जलील हो प्यार उसका पाने को ये दिल करता है मेरी आवरू मुझे रोकती है बस इसलिए कदम मोड़ लिया करता हूं पानी को छोड़ आंसुओं से अपनी प्यास बुझाता हूं मैं हकीकत से बेखबर मैं ख्वाबों में जिया करता हूं बस यूं ही......... मैं रोज ख्वाहिशों के दरिया बहाया करता हूं आंखों को आंसुओं के बेहिसाब जाम पिलाया करता हूं #pk_pankaj