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हे राम तू तो अनन्त है, नहीं तेरा कोई अन्त है। जल

 हे राम तू तो अनन्त है, 
नहीं तेरा कोई अन्त है।
जल में है तू, थल में है तू,
अचल में तू, चल में है तू।
भक्त के लिए हे राम तू,
कई बार धरती पे आया है,
हर व्यक्ति के मन में प्रभो,
बस तेरे रूप की छाया है।
 हे राम तू तो अनन्त है, 
नहीं तेरा कोई अन्त है।
जल में है तू, थल में है तू,
अचल में तू, चल में है तू।
भक्त के लिए हे राम तू,
कई बार धरती पे आया है,
हर व्यक्ति के मन में प्रभो,
बस तेरे रूप की छाया है।