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बोल का चोट बड़ा गहेरा होता है रात होती है फिर सवेरा

बोल का चोट बड़ा गहेरा होता है
रात होती है फिर सवेरा होता है । 
मक़सद से हाथ जोड़ता सूरज के
मतलब को तो चाँद भी ममेरा होता है । 
साँप हो चला, हर कोई जहाँ में
फिर क्यों नंगा सपेरा होता है । 
एक गिलास पानी माँगना है हराम
खुद पीले वरना खड़ा बखेरा होता है । 
ख़ुशबू आती है जिनके ग़ुस्लख़ाने से
छिप के रोते  है जब अँधेरा होता है।  
माशूक़ को अब बचे कहाँ आशिक़
जो साथ चलता वो चचेरा होता है। 
हुज़रो में कहाँ रहते है अब साधू
आलीशान मकानों में बसेरा होता है । 
चासनी वाली जो ज़ुबाँ रखता है
मान जा ज़िन्दगी वही लुटेरा होता है । 
पंछियों को कैसे मिलते नानक खेत में
इंसाँ ने जो पूरा खेत उकेरा होता है। 
(उकेरा-खुदा हुआ, नानक- गुरुनानक)
चोरी ने बना दिया रिश्ता कान्हा से
अरे वो है न चोर चोर मौसेरा होता है । 
ताज़ा वेबा से ज़रा पूछो राम दीवाली
दीये का उजाला कितना घनेरा होता है। 
         ( घनेरा - घना )
इतना तप गया है ये बदन अब तो
सोते सतिन्दर का रंग सुनेरा होता है । 
       ( सुनहरा या पीला )
✍️©️ सतिन्दर नज़्म होता है 

#kuchलम्हेंज़िन्दगीke #सतिन्दर #satinder #नज़्म #होताहै 

बोल का चोट बड़ा गहेरा होता है
रात होती है फिर सवेरा होता है । 

मक़सद से हाथ जोड़ता सूरज के
बोल का चोट बड़ा गहेरा होता है
रात होती है फिर सवेरा होता है । 
मक़सद से हाथ जोड़ता सूरज के
मतलब को तो चाँद भी ममेरा होता है । 
साँप हो चला, हर कोई जहाँ में
फिर क्यों नंगा सपेरा होता है । 
एक गिलास पानी माँगना है हराम
खुद पीले वरना खड़ा बखेरा होता है । 
ख़ुशबू आती है जिनके ग़ुस्लख़ाने से
छिप के रोते  है जब अँधेरा होता है।  
माशूक़ को अब बचे कहाँ आशिक़
जो साथ चलता वो चचेरा होता है। 
हुज़रो में कहाँ रहते है अब साधू
आलीशान मकानों में बसेरा होता है । 
चासनी वाली जो ज़ुबाँ रखता है
मान जा ज़िन्दगी वही लुटेरा होता है । 
पंछियों को कैसे मिलते नानक खेत में
इंसाँ ने जो पूरा खेत उकेरा होता है। 
(उकेरा-खुदा हुआ, नानक- गुरुनानक)
चोरी ने बना दिया रिश्ता कान्हा से
अरे वो है न चोर चोर मौसेरा होता है । 
ताज़ा वेबा से ज़रा पूछो राम दीवाली
दीये का उजाला कितना घनेरा होता है। 
         ( घनेरा - घना )
इतना तप गया है ये बदन अब तो
सोते सतिन्दर का रंग सुनेरा होता है । 
       ( सुनहरा या पीला )
✍️©️ सतिन्दर नज़्म होता है 

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बोल का चोट बड़ा गहेरा होता है
रात होती है फिर सवेरा होता है । 

मक़सद से हाथ जोड़ता सूरज के

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