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निर्भय होकर भय को प्रतीत किया इस जग में, कंठ द्रवि

निर्भय होकर भय को प्रतीत किया इस जग में,
कंठ द्रवित हो आया उस पल जब महसूस किया छल इस जग में। #भय
निर्भय होकर भय को प्रतीत किया इस जग में,
कंठ द्रवित हो आया उस पल जब महसूस किया छल इस जग में। #भय
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