किसलिए.. आखिर किसलिए उलझी हूँ अब तक मैं तुम्हारी यादों के "मकड़-जाल" में...! किसलिए डूबा रहना चाहती हूँ तुम्हारी मीठी बातो की "चाशनी" में..! किसलिए उसी तिराहे पर खड़ी रहना चाहती हूँ जहाँ पर हमारी राहों का बंटवारा था हुआ...! किसलिए फिर वही नग़मा गाना चाहती हूँ जिस को सुन दिल ज़ार-ज़ार रोता है...! किसलिए मन को दिलासा देती हूँ उसके मन का भी कभी होगा...! किसलिए तुम्हारे नाम के साथ अपना नाम जोड़ मुस्काती हूँ..! किसलिए तुम्हें अपना मान बैठी हूँ तुम्हें खोने के बाद भी..! किसलिए आखिर किसलिए...??? (( मुनेश शर्मा...(मेरे❤️✍️) कभी-कभी सवाल, सवाल नहीं होता बल्कि ज़िन्दगी बन जाता है। #किसलिए #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi