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जलील क्यों न होते हम इस ज़माने में| कितने नजर आते ह

जलील क्यों न होते हम इस ज़माने में|
कितने नजर आते हैं इबादत खाने में||

सनम की याद से फुरसत कहाँ, चमन के मशरूफियत से फुर्सत कहाँ|
खुदा तो याद आते हैं रणजोमहन के ज़माने में||

Jalil Q Na Hote Hum Is Jamane Me
Kitne Najar Aate Hain Ibadat Khane Me

Sanam Ki Yad Se Fursat Kahan, Chaman Ke Mashrufiyat Se Fursat Kahan 
Khuda To Yad Aate Hain Ranj - o -Mahan ke Jamane me Adnan Rabbani's Shayari • जलील क्यों न होते हम इस ज़माने में|

कितने नजर आते हैं इबादत खाने में||

सनम की याद से फुरसत कहाँ, चमन के मशरूफियत से फुर्सत कहाँ|

खुदा तो याद आते हैं रणजोमहन के ज़माने में||
जलील क्यों न होते हम इस ज़माने में|
कितने नजर आते हैं इबादत खाने में||

सनम की याद से फुरसत कहाँ, चमन के मशरूफियत से फुर्सत कहाँ|
खुदा तो याद आते हैं रणजोमहन के ज़माने में||

Jalil Q Na Hote Hum Is Jamane Me
Kitne Najar Aate Hain Ibadat Khane Me

Sanam Ki Yad Se Fursat Kahan, Chaman Ke Mashrufiyat Se Fursat Kahan 
Khuda To Yad Aate Hain Ranj - o -Mahan ke Jamane me Adnan Rabbani's Shayari • जलील क्यों न होते हम इस ज़माने में|

कितने नजर आते हैं इबादत खाने में||

सनम की याद से फुरसत कहाँ, चमन के मशरूफियत से फुर्सत कहाँ|

खुदा तो याद आते हैं रणजोमहन के ज़माने में||

Adnan Rabbani's Shayari • जलील क्यों न होते हम इस ज़माने में| कितने नजर आते हैं इबादत खाने में|| सनम की याद से फुरसत कहाँ, चमन के मशरूफियत से फुर्सत कहाँ| खुदा तो याद आते हैं रणजोमहन के ज़माने में|| #Love #peace #Hindi #Muslim #islam #urdu #MdAdnanRabbani