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White बिछडते रहे हम उनसे जो दिल के बड़े करीब थे,

White 
बिछडते रहे हम उनसे जो दिल के बड़े करीब थे,
 पूर्वज की विरासत है पडी ,वो यादे जो अजीज थे

मिलती थी रोज खुशियां और भर भरकर थपकियां
मनुहार से गाते पुराने गीत मल्हार कभी लोकगीत
उनके संग जीना चाहा पर ऐसे कहां मेरे नसीब थे

 चाह नहीं, यादें भी सिमट रहीं व्यस्तता के क्षण में
 बसते हैं मिट्टी के कण कण और मेरे इस अंतर्मन में
बिछडते रहे हम उनसे जो दिल के बड़े करीब थे,,,
 पूर्वज की विरासत है पडी ,वो यादे जो अजीज थे

©Shilpa yadav
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