मेरी चाहतों को मुसलसल, एक तेरी ही ख़्वाहिश है, वरना मेरा क्या है, होती यहाँ हर पल बस आजमाईश़ है ! रफ़्ता-रफ़्ता नज़र हो गई बेख़बर देखता हूँ जिधर तू ही आए नज़र #ख़्वाहिश #YQdidi