रात शायद आख़िरी थी बात शायद आख़िरी थी था मगर सूरज दीवाना प्रेम उसकी चाकरी थी सुबह लिख गया वो हँसके जबकि दुनियाँ नींद में थी वो मगन ख़ुद जल रहा था सबके हिस्से रोशनी थी एक उसके हौसले से सारी दुनियाँ चल रही थी एक उसके ही भरोसे धरती अपनी घूमती सी आख़िरातें भूलकर सब ज़िन्दगी मुसलसल रही थी चाँद तब से है पहेली तन्हा रातें हैं अकेली काफ़िला तारों का टिमटिम चाँदनी आँखों में झिलमिल परियों की कहानी कह रही थी #yqnature #yqlove #yqsun #yqmoon #yqyouandme #yqfaith #yqearnest