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मन में कितना उथल-पुथल है ,चारों तरफ है मन, पास मे

मन में कितना उथल-पुथल है ,चारों तरफ है मन, 
पास में इतर तितर है
 अंदर से   छलनी है दिल कितना किसको जाकर  दिखलाएं दोस्त रिश्ते नाते सब बदल जाते हैं वक्त देख कर
 फिर किसके पास जाकर झोली फैलाए!!

©kohinoor kavyalaya please book my show tomorrow

kavita no 1

#WorldBloodDonorDay
मन में कितना उथल-पुथल है ,चारों तरफ है मन, 
पास में इतर तितर है
 अंदर से   छलनी है दिल कितना किसको जाकर  दिखलाएं दोस्त रिश्ते नाते सब बदल जाते हैं वक्त देख कर
 फिर किसके पास जाकर झोली फैलाए!!

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