देखने से बेशक आप शादाब लगते हो! मुस्कान से भी बेशक आबाद लगते हो! नहीं लगता खूब सूरत जहां में कोई भी, आप तो गुस्से में यार भी गुलाब लगते हो! क्या कहूँ अब ज़्यादा बस इतना ही कहूँगा, यक़ीनन आप हुस्न-ए-महताब लगते हो! बेशक खा जाएगा धोखा, कोई भी इंसान, क्यूँकी आँखों से बेशक ही शराब लगते हो! हाँ परखा है आज मैंने आँखों से आपको, नूर-ए-नज़ाकत से सफ़िया वहाब लगते हो! Dedicating a #testimonial to Shaikh Safiya😊