बह रहा है बचपन यहाँ, बह रही है जिंदगी, डूब रहा हूँ मैं, ऐ मेरे ज़िम्मेदरों! क्या है तुम्हें शर्मिन्दगी??? न सड़क बची चलने को उनके, न घर बचा संभलने को उनके, मजबूर हो गये यहाँ से निकलने को इंसान, और करते भी क्या वो नन्ही सी जान, उठाकर बोझ आज बचपन चल रहा है, शर्म करो मेरे ज़िम्मेदरों! ये चहरा मेरे विकास का किस शक्ल में ढल रहा है??? डूब गयी वो पढ़ाई सारी, हाथ में अब वो कलम बची है, फायदा भी क्या इसका अब??? होड़ तो यहाँ मेरे ज़िम्मेदरों में बस जीतने की लगी है। अब तो जाग जा ऐ ज़िम्मेदार मेरे! मेरी ये साँस अब थमने लगी है।। -Umra Hasan ©Umme Habiba Zimmedaar kaun??? #Shayari #shayarioftheday #shayariofinstagram #nojotoapp #Nojotoappofficial #igwriterclub #igwriterhabiba #TakeItSeriously🙏🙏 #itsnotajoke #flood 🐦Awaaz-e-shayari (Imran Hussain) Rizvi_Writes_Official✍️ SUFIYAN"SIDDIQUI" ✍official-writer-Ajay-patir Ritika Singh