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न ही वो ढल रहा था न ही वो निकल रहा था था अंदर-ही

न ही वो ढल रहा था
 न ही वो निकल रहा था

था अंदर-ही-अंदर वो दबा हुआ,
जो अंदर-ही-अंदर सम्भल रहा था

न थी कोई व्यथा, न थी कोई चिंता
न वक़्त के साथ उसको कुछ सता रहा था

थी फंसी हुई हर शाम उसकी किसी आशियाने के लिए,
न जाने फिर भी "हिमांश" क्यों अब किसी से न घबरा रहा था॥

न ही वो ढल रहा था, न ही वो निकल रहा था…
(मेरे राम)

©Himanshu Tomar #ढलना #निकलना #हताशा #जीवन #मेरे_राम #समझ 

#sunrays
न ही वो ढल रहा था
 न ही वो निकल रहा था

था अंदर-ही-अंदर वो दबा हुआ,
जो अंदर-ही-अंदर सम्भल रहा था

न थी कोई व्यथा, न थी कोई चिंता
न वक़्त के साथ उसको कुछ सता रहा था

थी फंसी हुई हर शाम उसकी किसी आशियाने के लिए,
न जाने फिर भी "हिमांश" क्यों अब किसी से न घबरा रहा था॥

न ही वो ढल रहा था, न ही वो निकल रहा था…
(मेरे राम)

©Himanshu Tomar #ढलना #निकलना #हताशा #जीवन #मेरे_राम #समझ 

#sunrays
himanshutomar9779

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