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मां का दुलार और पिता की डांट से शुरू होती कहानी बच

मां का दुलार और पिता की डांट से शुरू होती कहानी बचपन की
इसी कहानी से शुरू होते दास्तां ए कहानी ख्वाबों की
पेंसिल से शुरू होकर कलम पर जो सफर आकर अक्सर रुक जाता
उसी सफर पर बिन गलती किए आगे बढ़ना हमेशा कलम से सीखा जाता
रोते हुए रखते जो स्कूल में कदम वही हमारी जिंदगी की राहें बनाता
उन्हीं राहों पर चलकर ख्वाबों के आसमां छूने को यह दिल ललचाता
जिन खिलौनों के सहारे काटा बचपन अब वो खिलौना बेकार लगता
जिंदगी के इस खेल में हर मोड़ पर एक अलग मजा आता
जेल समझ जिस स्कूल को पीछे छुड़ाने के बहाने खोजा करते
आज उसी स्कूल में स्वर्ग और जन्नत का नजारा दिखाई देता
छोटे थे जब बड़े बनने की जिद पर अड़ा करते थे
अपनी जिंदगी के हर फैसले खुद लेने की बड़ो से जिद करा करते थे
बड़े हुए जब जिंदगी का हर अफसाना अजीब लगता है
जिम्मेदारियों के नीचे दबी ख्वाइशों को वापिस बचपन जीने का मन करता है
काबिल हुए जब अपने फैसले लेने के तब बड़ो का साया ढूंढ़ते हैं
हलकी सी चोट पर भी वो मां की फूंक और पिता का दुलार ढूंढ़ते हैं
जब सब खुशियां थी पास में तब दुनिया जीतने की चाह रखा करते थे
काबिल हुए जब दुनिया जीतने के तो उस बचपन को फिर जीने की तमन्ना रखते हैं
नहीं चाहिए वो खुशियां जिसमे जिंदगी अपनी शामिल न हो,
अब तो चाहिए बस वो जिंदगी जिसमे मां का प्यार और पिता की वो डांट बरकरार हो

©VINAY PANWAR 🇮🇳INDIAN ARMY💕💕 दुख और तकलीफ
भगवान की बनायी वो प्रयोगशाला है
जहा हमारे आत्मबिश्वास को
परखा जाता है

परिश्रम सौभाग्य की जननी है 
देने के लिये दान
लेने के लिये ज्ञान
मां का दुलार और पिता की डांट से शुरू होती कहानी बचपन की
इसी कहानी से शुरू होते दास्तां ए कहानी ख्वाबों की
पेंसिल से शुरू होकर कलम पर जो सफर आकर अक्सर रुक जाता
उसी सफर पर बिन गलती किए आगे बढ़ना हमेशा कलम से सीखा जाता
रोते हुए रखते जो स्कूल में कदम वही हमारी जिंदगी की राहें बनाता
उन्हीं राहों पर चलकर ख्वाबों के आसमां छूने को यह दिल ललचाता
जिन खिलौनों के सहारे काटा बचपन अब वो खिलौना बेकार लगता
जिंदगी के इस खेल में हर मोड़ पर एक अलग मजा आता
जेल समझ जिस स्कूल को पीछे छुड़ाने के बहाने खोजा करते
आज उसी स्कूल में स्वर्ग और जन्नत का नजारा दिखाई देता
छोटे थे जब बड़े बनने की जिद पर अड़ा करते थे
अपनी जिंदगी के हर फैसले खुद लेने की बड़ो से जिद करा करते थे
बड़े हुए जब जिंदगी का हर अफसाना अजीब लगता है
जिम्मेदारियों के नीचे दबी ख्वाइशों को वापिस बचपन जीने का मन करता है
काबिल हुए जब अपने फैसले लेने के तब बड़ो का साया ढूंढ़ते हैं
हलकी सी चोट पर भी वो मां की फूंक और पिता का दुलार ढूंढ़ते हैं
जब सब खुशियां थी पास में तब दुनिया जीतने की चाह रखा करते थे
काबिल हुए जब दुनिया जीतने के तो उस बचपन को फिर जीने की तमन्ना रखते हैं
नहीं चाहिए वो खुशियां जिसमे जिंदगी अपनी शामिल न हो,
अब तो चाहिए बस वो जिंदगी जिसमे मां का प्यार और पिता की वो डांट बरकरार हो

©VINAY PANWAR 🇮🇳INDIAN ARMY💕💕 दुख और तकलीफ
भगवान की बनायी वो प्रयोगशाला है
जहा हमारे आत्मबिश्वास को
परखा जाता है

परिश्रम सौभाग्य की जननी है 
देने के लिये दान
लेने के लिये ज्ञान

दुख और तकलीफ भगवान की बनायी वो प्रयोगशाला है जहा हमारे आत्मबिश्वास को परखा जाता है परिश्रम सौभाग्य की जननी है देने के लिये दान लेने के लिये ज्ञान