इक रात थी.... एक अंधेरा... दोनों ढले हुआ सवेरा... जिंदगी मे रोशनी का हुआ बसेरा.. सहसा सूरज ने ओढ़ ली बदलो की ओढ़नी और जीवन को फिर अन्धकार ने घेरा.. विपिन पंडित