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अतीत के पन्नों में झांक कर देखा, तो तुझे आज भी अपन

अतीत के पन्नों में झांक कर देखा, तो तुझे आज भी अपने करीब ही पाया।
कई दौर गुजारे हमने संग-संग जीने की चाह में, पर तू मेरा ना हो पाया।

वैसे तो तू रहता है हरपल मेरे साथ अभी भी बनकर यादों में हमासाया।
कैसे कहें हाल-ए-दिल, तेरे बिना मुझे जीने का हुनर आज भी ना आया। 🎀 Challenge-390 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 

🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 

🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 4 पंक्तियों अथवा 40 शब्दों में अपनी रचना लिखिए।
अतीत के पन्नों में झांक कर देखा, तो तुझे आज भी अपने करीब ही पाया।
कई दौर गुजारे हमने संग-संग जीने की चाह में, पर तू मेरा ना हो पाया।

वैसे तो तू रहता है हरपल मेरे साथ अभी भी बनकर यादों में हमासाया।
कैसे कहें हाल-ए-दिल, तेरे बिना मुझे जीने का हुनर आज भी ना आया। 🎀 Challenge-390 #collabwithकोराकाग़ज़

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🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 

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