गीली मिट्टी का ढेर था, आकार दिया है तुमने, बोया मन मे बीज, तब देखे है सपने मैने, कलम नही ऊँगली थी तेरी, ज्ञान था जिसमे , सबक थे गहरे, हर शाबाशी, हर ऊंचाई, जो मैने उचक के पायी, उसके पीछे कोई ओर नही, कंधे भी थे तेरे। priya... #pappa