Nojoto: Largest Storytelling Platform

हर दिन बेपरवाह हो जाना, ना आंखों में कोई ख्वाब हो

हर दिन बेपरवाह हो जाना, 
ना आंखों में कोई ख्वाब हो
ना किसी बात की कोई चिंता होना,
खेलना , कूदना , मां की गोद में बेखौफ सो जाना।
कौन नही चाहता, फिर से बच्चा हो जाना।

उतार कर रख देना बोझ जिंदगी का,
बाप के साए में रहना,
खुल कर रोना हल्की सी चोट लगने पर,
बिना मतलब के जिंदगी को जीना,
सुबह उठू तो मां का हाथ हो सर पर,
पापा का गोद में बैठा कर खाना खिलाना,
कौन नही चाहता , फिर से बच्चा हो जाना।

हकीकत से कोसो दूर,
किसी किस्से कहानियों में खो जाना,
गलतियां करना जान बूझ कर,
और हर गलती का माफ हो जाना,
खुले आसमान में उड़ना , किसी आजाद पंछी की तरह,
ना कोई मंजिल की चाह हो ,
मां का पल्लू पकड़ कर , बस पीछे पीछे हो जाना
कहा है जिंदगी , किस सफर पर हुं मैं,
थक गया हूं चलते चलते , बहुत अकेला हो गया हूं मैं,
बहुत खाम है रोहित तेरा तजुर्बा लोगो को पहचानने का,
कहा समझ है अभी दुनियादारी की,
सारी समझ को फेक कर कही, फिर से नादान जो जाना,
कौन नही चाहता , फिर से बच्चा हो जाना।

©Rohit Bairag 
  बच्चा हो जाना

बच्चा हो जाना #कविता

156 Views