जाने क्यों साथी तेरे साथ बिना हर शाम अधूरी लगती है , बिन जुगनू के रातो की रौनक जैसे अधूरी लगती है !! फिक्र तुम्हारी आज भी है बस जिक्र हो रहा शब्दो में , अश्क़ छुपे हो आँखों मे तो मुस्कान अधूरी लगती है !! बिन राधा के श्याम की मुरली जैसे अधूरी लगती है , वैसे ही जितने करीब रहो तुम नज़दीकी दूरी लगती है ! इंतजार तुम्हारा आज भी राहुल बस सब्र खो रहा यादों में जैसे बिन माली के पुष्पों की डाली आज अधूरी लगती है ~ पुरानी यादें ~ (((" राहुल "))) #यादें जाने क्यों साथी तेरे साथ बिना हर शाम अधूरी लगती है , बिन जुगनू के रातो की रौनक जैसे अधूरी लगती है !! फिक्र तुम्हारी आज भी है बस जिक्र हो रहा शब्दो में , अश्क़ छुपे हो आँखों मे तो मुस्कान अधूरी लगती है !! बिन राधा के श्याम की मुरली जैसे अधूरी लगती है , वैसे ही तुम जितने करीब रहो नज़दीकी दूरी लगती है ! इंतजार तुम्हारा आज भी राहुल बस सब्र खो रहा यादों में