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ना हवस तेरे जिस्म की, ना शौक हमबिस्तर होने का, बिन

ना हवस तेरे जिस्म की,
ना शौक हमबिस्तर होने का,
बिन मतलबी सा बंदा हूं,
तेरी सादगी पे मारता हूं। R2 Poetry
ना हवस तेरे जिस्म की,
ना शौक हमबिस्तर होने का,
बिन मतलबी सा बंदा हूं,
तेरी सादगी पे मारता हूं। R2 Poetry
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