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शिविका त्रिपाठी की कविता का जवाब कविता के माध्यम स

शिविका त्रिपाठी की कविता का जवाब कविता के माध्यम से।

ये जख्म है हरा इस पर मैं और जख्म सह नहीं सकता
ये दर्द है मेरे सीने में अजी ये और कैद रह नहीं सकता
अनकहे दर्द को बयां यहां मेरी दास्तान करेगी देखना तुम
ये लब बेजुबां हैं लेकिन ये कलम और खामोश रह नहीं सकता

गुस्ताख़ी माफ़,दिल है एकदम साफ।

आदित्य कुमार भारती #The expression of pain#दर्द के बयां
शिविका त्रिपाठी की कविता का जवाब कविता के माध्यम से।

ये जख्म है हरा इस पर मैं और जख्म सह नहीं सकता
ये दर्द है मेरे सीने में अजी ये और कैद रह नहीं सकता
अनकहे दर्द को बयां यहां मेरी दास्तान करेगी देखना तुम
ये लब बेजुबां हैं लेकिन ये कलम और खामोश रह नहीं सकता

गुस्ताख़ी माफ़,दिल है एकदम साफ।

आदित्य कुमार भारती #The expression of pain#दर्द के बयां

The expression of painदर्द के बयां