सच है काफ़िर हुआ हूँ मैं हाँ अब फ़कीर हुआ हूँ मैं मैं बूत नहीं बेज़ान कोई पत्थर की लक़ीर हुआ हूँ मैं सादगी पे तेरी यूँ मारा गया पैरों की ज़ंजीर हुआ हूँ मैं तुझसे पहले मरना तय है मेरा रियासत का वज़ीर हुआ हूँ मैं या ख़ुदा तु बख़्श दे मुझे ज़िंदा दफ़न पीर हुआ हूँ मैं शीशा हूँ दिखाता हूँ चेहरा ख़ुद की तस्वीर हुआ हूं मैं बचके रहना ज़रा धार से मेरी कलम से शमशीर हुआ हूँ मैं आजकल सब मारते है पत्थर सरहद का कश्मीर हुआ हूँ मैं ना दफ़नाना ना जलाना मुझे शिद्दत से ख़ाक-ए-ज़मीर हुआ मैं सच है काफ़िर हुआ हूँ मैं हाँ अब फ़कीर हुआ हूँ मैं मैं बूत नहीं बेज़ान कोई पत्थर की लक़ीर हुआ हूँ मैं सादगी पे तेरी यूँ मारा गया पैरों की ज़ंजीर हुआ हूँ मैं