लाखों दिलों में सलतनत है हमारी मगर हमारे दिल में तुम ही आबाद हो, ता जिंदगी गुजर जाने के बाद भी तुम मुहब्बत-ए-पारी नाबाद हो। हाथों से जबरन पकड़ने से अक्सर फिसल जाते हैं हाथ से रिश्ते दिल के रिश्ते बड़ी नाजुकता से संभाले जाते हैं ऐ इश्क तुम तो आजाद हो। बी डी शर्मा चण्डीगढ़— % & नाबाद मुहब्बत-ए-पारी #paidstory