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चेहरा साफ नज़र नहीं आ रहा, धूल जमी है, तुम इसे आहिस

चेहरा साफ नज़र नहीं आ रहा, धूल जमी है,
तुम इसे आहिस्ते से हटा लिया करो,
जो ख़्वाहिशात दबी है दिल के तैखाने में,
हमें छुपके से आकर बता दिया करो।
सता लिया करो, हक जता लिया करो,
हलके से मुस्कुराकर, मेरी बेचैनी घटा दिया करो।

कि मैं खो गया तुममें, मुझे और खो जाने दो,
तुम्हें याद करते करते, मीठी नींद सो जाने दो,
तुम्हारा हो जाने दो, मुझे तुम्हारा हो जाने दो,
तुम्हारे खुशी में खुश, तुम्हारे ग़म में रो जाने दो।

मैं तड़पूँ जैसे मधुमक्खी फूलों के सार को तड़पे,
मैं तड़पूँ जैसे गोपियाँ कान्हा के प्यार को तड़पे,
सज्जन व्यवहार को तड़पे, चाँद आकार को तड़पे,
कोई गरीब घंटों मेहनत करके रोज़गार को तड़पे।

हवाओं ने रुख बदली है, शायद तुम खिड़की पे आयी,
मुझे दो पल याद की, फिर मुस्कुराकर ज़ुल्फें झटकायी,
बेशक बात में थी गहराई, जिसे हमने ज़माने से छुपाई,
यूँही रहे कायम, इश्क़ के कैद से अब ना मिले रिहाई। 



#ज़ाया #शब्दावली #उम्मीदकापरिंदा #love #yqdidi #restzone #aestheticthoughts  #poetry
Best YQ Hindi Quotes
चेहरा साफ नज़र नहीं आ रहा, धूल जमी है,
तुम इसे आहिस्ते से हटा लिया करो,
जो ख़्वाहिशात दबी है दिल के तैखाने में,
हमें छुपके से आकर बता दिया करो।
सता लिया करो, हक जता लिया करो,
हलके से मुस्कुराकर, मेरी बेचैनी घटा दिया करो।

कि मैं खो गया तुममें, मुझे और खो जाने दो,
तुम्हें याद करते करते, मीठी नींद सो जाने दो,
तुम्हारा हो जाने दो, मुझे तुम्हारा हो जाने दो,
तुम्हारे खुशी में खुश, तुम्हारे ग़म में रो जाने दो।

मैं तड़पूँ जैसे मधुमक्खी फूलों के सार को तड़पे,
मैं तड़पूँ जैसे गोपियाँ कान्हा के प्यार को तड़पे,
सज्जन व्यवहार को तड़पे, चाँद आकार को तड़पे,
कोई गरीब घंटों मेहनत करके रोज़गार को तड़पे।

हवाओं ने रुख बदली है, शायद तुम खिड़की पे आयी,
मुझे दो पल याद की, फिर मुस्कुराकर ज़ुल्फें झटकायी,
बेशक बात में थी गहराई, जिसे हमने ज़माने से छुपाई,
यूँही रहे कायम, इश्क़ के कैद से अब ना मिले रिहाई। 



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