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शीर्षक "खुश्बूओं को संजोना" एक दिन में बगीचे में

शीर्षक 
"खुश्बूओं को संजोना"
एक दिन में बगीचे में बैठा music गुनगुना रहा था। तभी अचानक रंग-बिरंगे फूलों पर नजर पड़ी, ओर उससे पहले उनकी खुशबू, क्या खुशबू थी? यार, मन को एक पल लगा कि जैसे मे उसके ही शहर में अपने आपको हमेशा से यहीं बैठा पाता रहूं। और इस सुगन्ध को अपनी आगोश मे समेट लूं। सायद में पागल था 🤔। और मे वैसे ही हरकतें करना play कर दिया उस सुगंध को अपनी मुठ्ठी मे भरने की कोशिश करने लगा। मैंने कई बार कोशिश की लेकिन मैं असफल ही रहा, और होऊंगा भी। फिर कइ तरीके अपनाए उस सुगंध को संजोने के लिए परंतु मे सफल नही हो पाया। ये काम मेरे लिए वैसा ही है जैसे हवा को कैद करना, ओर कैद होना हवा की प्रकृति कहां?

©Anil kumar खुशबूओं को संजोना

#flowers
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"खुश्बूओं को संजोना"
एक दिन में बगीचे में बैठा music गुनगुना रहा था। तभी अचानक रंग-बिरंगे फूलों पर नजर पड़ी, ओर उससे पहले उनकी खुशबू, क्या खुशबू थी? यार, मन को एक पल लगा कि जैसे मे उसके ही शहर में अपने आपको हमेशा से यहीं बैठा पाता रहूं। और इस सुगन्ध को अपनी आगोश मे समेट लूं। सायद में पागल था 🤔। और मे वैसे ही हरकतें करना play कर दिया उस सुगंध को अपनी मुठ्ठी मे भरने की कोशिश करने लगा। मैंने कई बार कोशिश की लेकिन मैं असफल ही रहा, और होऊंगा भी। फिर कइ तरीके अपनाए उस सुगंध को संजोने के लिए परंतु मे सफल नही हो पाया। ये काम मेरे लिए वैसा ही है जैसे हवा को कैद करना, ओर कैद होना हवा की प्रकृति कहां?

©Anil kumar खुशबूओं को संजोना

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anilkumar5627

Anil kumar

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खुशबूओं को संजोना #flowers