भूतो की तरह भटकते हैं रातो में जोगी हो गए एक-दो मुलाकातो में अन्धेरे से लगता डर, मिट सा गया अब तो नशा हैं उसकी हरेक बातो में #प्यार अर्पित अज्ञात