Unsplash तुम आए और चले भी गए ,पल भर भी दीदार कर न सके मेरी जागी जागी आंखे थी,तुम भीड़ में ठीक से दिख न सके ये आना भी क्या आना था,ये पागल दिल बेकरार रहा मैं खुद ही रोती हंसती रही,तुमको न जरा एहसास रहा हसरत थी आंखों में रख लूं पर वक्त वफ़ा तो कर न सका तुम आए और चले भी गए ,पल भर भी दीदार कर न सके कल ही तो वादे कर के गए,कल ही दिखलाए थे सपने कल बच्चों से कुछ बातें की,अम्मा को हंसाए थे तुमने अब आज ये तुमको हो क्या गया,एक दिन भी करार कर ना सके तुम आए और चले भी गए ,पल भर भी दीदार कर न सके तुम आए और चले भी गए ,पल भर भी दीदार कर न सके मेरी जागी जागी आंखे थी,तुम भीड़ में ठीक से दिख न सके राजीव ©samandar Speaks #camping