जानता हूँ, क्या बीत रही है दिल पे तेरे, जज़्बातों पे अब इख़्तियार नहीं है तेरे। क्यों तक़लीफ दे रही हो खुद को तुम, इक बार कह दो हाल-ए-दिल भी तुम। हम तो दोस्त तेरे, वो ही आज भी है, और तेरी फिक्र ही करते आज भी है। बता दो, जता दो, क्या ख्याल है तेरे, अल्फाज़ मैं दूँगा, हर ख्याल को तेरे। वो पल जो बीत गया, गर हो सके तो, फिर से लौटा दो सब, गर हो सके तो। ना चाहत है कोई, ना माँग ही है मेरी, बस तुम मुस्कुरा दो, इल्तज़ा है मेरी। बस तुम मुस्कुरा दो, इल्तज़ा है मेरी। बस तुम मुस्कुरा दो, इल्तज़ा है मेरी। बस इतनी सी इल्तज़ा है मेरी, खुदा तुझसे, उसे फिर से मुस्कुराते देखने की तमन्ना है। अंजान 'इकराश़' #YqBaba #YqDidi #IkraashNaama #MAC #Dost