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हाल-ए-दिल कुछ इस तरह जानता है वो बिन रोये भी अश्क़

हाल-ए-दिल कुछ इस तरह जानता है वो
बिन रोये भी अश्क़ मेरे पहचानता है वो

न जाने कैसा रिश्ता है हमारे दरमियान
कदमों की आहट से मुझे पहचानता है वो

रूठू मैं चाहे सौ दफ़ा उससे हर बात पर
फिर भी मुझे अपना हमदम मानता है वो हाल-ए-दिल कुछ इस तरह जानता है वो
बिन रोये भी अश्क़ मेरे पहचानता है वो

न जाने कैसा रिश्ता है हमारे दरमियान
कदमों की आहट से मुझे पहचानता है वो

रूठू मैं चाहे सौ दफ़ा उससे हर बात पर
फिर भी मुझे अपना हमदम मानता है वो,
हाल-ए-दिल कुछ इस तरह जानता है वो
बिन रोये भी अश्क़ मेरे पहचानता है वो

न जाने कैसा रिश्ता है हमारे दरमियान
कदमों की आहट से मुझे पहचानता है वो

रूठू मैं चाहे सौ दफ़ा उससे हर बात पर
फिर भी मुझे अपना हमदम मानता है वो हाल-ए-दिल कुछ इस तरह जानता है वो
बिन रोये भी अश्क़ मेरे पहचानता है वो

न जाने कैसा रिश्ता है हमारे दरमियान
कदमों की आहट से मुझे पहचानता है वो

रूठू मैं चाहे सौ दफ़ा उससे हर बात पर
फिर भी मुझे अपना हमदम मानता है वो,
imrankhan7166

imrankhan

New Creator

हाल-ए-दिल कुछ इस तरह जानता है वो बिन रोये भी अश्क़ मेरे पहचानता है वो न जाने कैसा रिश्ता है हमारे दरमियान कदमों की आहट से मुझे पहचानता है वो रूठू मैं चाहे सौ दफ़ा उससे हर बात पर फिर भी मुझे अपना हमदम मानता है वो, #shyarioflove