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ठंडा लोहा गरम लोहे को काटता है, अपने स्वभाव से क्

 ठंडा लोहा गरम लोहे को काटता है,
अपने स्वभाव से क्रोध को छाँटता है..!

नियंत्रण रखता है जिह्वा पर अपनी,
न ख़ुद को दूजे से बाँटता है..!

लड़ाई झगड़े से बचता है,
चतुराई से पासा पलटता है..!

न रखता मन में मैल कोई,
न ही साजिश रचता है..!

धैर्य को जीवन में अपनाकर,
शांति सद्भाव से जचता है..!

©SHIVA KANT
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