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मेरा दिल आज भी भगत हैं। क्योकि यह जानता जगत हैं। उ

मेरा दिल आज भी भगत हैं।
क्योकि यह जानता जगत हैं।
उस दिन बस सूली पर ही तो चढ़ा था।
होंठो पर मुस्कान लिए,
उस दिन बस कुछ उसूल ही तो टूटा था,
आज़ादी का कफ़न लिए,
हॉ वह मेरे ही शब्द थे जो इंकलाब लिए देश की गलियों में घूमे थे,
और रंग दे बसंती चोला कह कर आज़ादी के लिए दम तोड़े थे।
एक आवाज के लिए मैंने ही असेम्बली में बम फोड़े थे,
और देश को एक जुट करने के लिए नजाने कितने रिश्ते जोड़े थे।
आँखों मे आज़ाद भारत का सपना लिए सलाखें गिनता था। 
अपने अनगिनत शब्दो को उन दिनों जेल की दीवारों में दफना दिए,
और यू ही निशब्द हो, फाँसी के फंदे पर भी झूल गए।।
आज़ादी को दुल्हन बता कर मौत से एक आशिकों की तरह लिपट गया। 
और आँखों मे आज़ाद भारत का सपना लिए दुनिया को अलविदा कह गया,
जात पात के बिना भी पूरे भारत को एक कर गया,
भारत को आज़ाद कर मैं खुद आज़ाद हो गया।
मेरा दिल आज भी भगत हैं।
क्योकि यह जानता जगत हैं।
 #poetry #bhagatsingh #poetry #poem #hindi #india #revolution
मेरा दिल आज भी भगत हैं।
क्योकि यह जानता जगत हैं।
उस दिन बस सूली पर ही तो चढ़ा था।
होंठो पर मुस्कान लिए,
उस दिन बस कुछ उसूल ही तो टूटा था,
आज़ादी का कफ़न लिए,
हॉ वह मेरे ही शब्द थे जो इंकलाब लिए देश की गलियों में घूमे थे,
और रंग दे बसंती चोला कह कर आज़ादी के लिए दम तोड़े थे।
एक आवाज के लिए मैंने ही असेम्बली में बम फोड़े थे,
और देश को एक जुट करने के लिए नजाने कितने रिश्ते जोड़े थे।
आँखों मे आज़ाद भारत का सपना लिए सलाखें गिनता था। 
अपने अनगिनत शब्दो को उन दिनों जेल की दीवारों में दफना दिए,
और यू ही निशब्द हो, फाँसी के फंदे पर भी झूल गए।।
आज़ादी को दुल्हन बता कर मौत से एक आशिकों की तरह लिपट गया। 
और आँखों मे आज़ाद भारत का सपना लिए दुनिया को अलविदा कह गया,
जात पात के बिना भी पूरे भारत को एक कर गया,
भारत को आज़ाद कर मैं खुद आज़ाद हो गया।
मेरा दिल आज भी भगत हैं।
क्योकि यह जानता जगत हैं।
 #poetry #bhagatsingh #poetry #poem #hindi #india #revolution
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