ना जाने किसका चेहरा है, उस आवाज़ के पीछे, ना जाने किसकी तलब है, उस तड़पन के पीछे है मोहब्बत उसकी गहरी, मिर्च सी बोली में, है ज़ख़्म से वो लाचार, उस मुखौटे के पीछे अंखियों के कोर में छुपा, इक़ नादाँ सा आँसू, बिलख रहा वो भी, किसी जज़्बात के पीछे ज़ेहन में क़ैद कर, यादों का सन्नाटा, लब चुप रहे, चीखती खामोशी के पीछे रातों में लड़ता, अकेलेपन का कोलाहल, बेचैन कुछ ख़याल करते, इन करवटों के पीछे अनजानों में खोजता, किसी अपने की छवि वो, रह जाता अकेला, तर्क-वितरकों के पीछे ठहर जाती मैं साथ उसके, इक़ उम्र के लिए, पर है कुछ झूठा वो, कुछ सच के पीछे #अजनबी #whoareyou #yqdidi #yqbaba #drgpoems