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कहीं धूप पसरी है कहीं छांव के नए रंग नज़र आ रहे है

कहीं धूप पसरी है
कहीं छांव के नए रंग नज़र आ रहे हैं
कहीं अंधेरा घर कर रहा है
कहीं अंधेरों में डूबते हुए शहर नज़र आ रहे हैं

मिट्टी की देह लिए घूमते फिरते हैं
ना जाने गुमान किस बात पर करते हैं

कोई गांव छोड़ जा रहा है शहर को 
कई हैं जो शहर में भी गांव खोजा करते हैं

भीतर कहीं आसरा कर लिया है किसी साये ने
अंधेरों से इश्क हो गया है और उजाले में,
उजाले में खुद के




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©Manish Sarita(माँ )Kumar
  साये से डर





#अंधेरा 
#nojota