माना ग़मों का चल रहा है शोर उनसे ना करो खुद को कमज़ोर खुशियाँ भी जो फैली हैं हर ओर उनको समेटने की कोशिश करो तुम पुरज़ोर वक्त एक सा नहीं रहता कभी बदलता ही है दौर सुप्रभात। हमारे चारों ओर बिखरी हैं ख़ुशियाँ, अब हम पर है कि हम कितना समेट पाते हैं। #ख़ुशियाँ #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi